Guru Purnima
गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) में गुरु की पूजा की जाती है
यह पर्व आषाण मास की शुक्ल पक्ष को मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि गुरु के ज्ञानमयी प्रकाश से जीवन का अंधकार दूर होता है और फिर ईश्वर से साक्षात्कार हो पाता है. इस पर्व का विशेष महत्व है. इस दिन गुरु के प्रति आस्था प्रगट की जाती है. इस दिन विधिवत तरीके से गुरु का पूजन किया जाता है. इसको व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है.
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गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई को क्यों मनाई जाती है?
इस साल गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई को मनाई जाएगी और इसी दिन चंद्रग्रहण भी होगा. यह ग्रहण अधिकतर अमेरिका, अफ्रीका इत्यादि देशों में दिखाई देगा. भारत में यह नहीं दिखाई देगा. इस दिन चारों वेदों के रचयिता और महाभारत महाकाव्य की रचना करने वाले वेद व्यास या महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था. महर्षि वेद व्यास संस्कृत के महान विद्वान थे.
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु की क्रपा से सुख, संपन्नता, ज्ञान, विवेक, सहिष्णुता प्राप्त होता है. गुरु अंधकार से प्रकाश की और ले जाता है. ये कह सकते हैं कि गुरु अज्ञान से ज्ञान की और ले जाता है और जो हमें ज्ञान देता वह पूजनीय माना जाता है. गुरु को विशेष दर्जा दिया गया है. हिन्दू धर्म में गुरु को सबसे सर्वोच्च बताया गया है.
इसलिए गुरु पूर्णिमा पर लोग अपने-अपने गुरु देव का पूजन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इस दिन को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं भी हैं. जिनमें से एक कथा के अनुसार इसी दिन ऋषि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था. भारत के कई राज्यों में इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.
इस दिन लोग गुरु व्यास जी की पूजा करते हैं. कई लोग इस दिन अपने गुरु, इष्ट देव की भी आराधना करते हैं और काफी हर्षोउल्लास से इस पर्व को मनाते हैं.
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गुरु पूर्णिमा का पौराणिक महत्व क्या है?
विभिन्न हिन्दू पौराणिक वेदों के अनुसार गुरु को त्रिदेवों से भी सर्वोपरी बताया गया है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि गुरु ही व्यक्ति को सही दिशा दिखलाता है और अपने शिष्य का मार्गदर्शन भी करता है. इस दिन को प्राचीन काल से मनाया जाता रहा है. ऐसा भी माना जाता है कि गुरु के लिए शिष्यों की अपार श्रद्धा उस समय गुरु के लिए असली दक्षिणा होती थी.
इस दिन गोवर्धन जो कि उत्तरप्रदेश में है की परिक्रमा का भी विधान है. लेकिन कोरोनावायरस के कारण इस साल गोवर्धन में नहीं लगेगा करोड़ी मेला. ऐसा भी देखा गया है कि इस दिन लोग पवित्र नदियों, कुंडों, तालाबों में स्नान करते हैं और दान-दक्षिणा भी देते हैं.
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गुरु पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है और इस दिन क्या किया जा सकता है?
इस दिन देश में मन्दिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. कई विद्यालयों और संस्थानों में इस दिन छात्र या बच्चे अपने गुरु व शिक्षकों को सम्मानित करते हैं, उनके लिए उपहार लाते हैं, कई प्रकार के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है.
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इस दिन सुबह उनसे आशीर्वाद लिया जाता है क्योंकि ये ही तो हमारे प्रथम गुरु हैं. लोग अपने इष्ट देव की आराधना करते हैं और अपने गुरु से आशीर्वाद लेते हैं.
इस दिन जिनसे आपने शिक्षा ग्रहण की हो उनसे आशीर्वाद लें और उन्हें उपहार दें, प्रणाम करें.
इस दिन ऐसा भी कहा जाता है कि किसी गरीब को भरपेट भोजन आवश्य कराना चाहिए. गरीब की सहायता करनी चाहिए, अगर किसी के शरीर पर वस्त्र नहीं हो तो उसे वस्त्र देने चाहिए.
गुरु का ध्यान करें, हो सके तो उनके दर्शन करें और यदि वे साक्षात् आपके पास न हों तो उनका ध्यान करें और मानसिक प्रणाम करें.
इस दिन धर्मग्रन्थ की भी पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि धर्मग्रंथ भी साक्षात् गुरु है.
जैसे रामचरितमानस, श्रीमद्भगवद्गीता पर पुष्प चढ़ाए, पाठ करें इत्यादि.
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तीन लोक नो खंड में गुरु से बड़ा ना कोई.